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कासगंज मौत मामला : पिता ने यूपी पुलिस के खिलाफ आरोप वापस लिया

कासगंज। पुलिस हिरासत में कथित तौर पर खुदकुशी करने वाले अल्ताफ के पिता चांद मियां ने एक हस्तलिखित नोट में दावा किया है कि उनका बेटा अवसाद से पीड़ित था और वह पुलिस के खिलाफ मामला वापस ले रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने पुलिस पर मामले को दबाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है और उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से इसकी जांच कराने की मांग की है।
मामले में बुधवार को लापरवाही बरतने के आरोप में पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित डिप्रेशन में था और उसने आत्महत्या कर ली।
चांद मियां ने अब एक लिखित बयान दिया है कि वह मामले में आरोप वापस ले रहे हैं और 'भविष्य में इसे आगे नहीं बढ़ाएंगे।'
दिलचस्प बात यह है कि चांद मियां के हस्तलिखित नोट में हस्ताक्षर के बजाय उनके अंगूठे का निशान है।
उत्तर प्रदेश के कासगंज थाने में हिरासत में रहते हुए 22 वर्षीय मुस्लिम युवक अल्ताफ की मौत एक बड़े विवाद में तब्दील हो गई है और समाजवादी पार्टी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
पार्टी ने यह भी मांग की है कि युवक के परिवार को मुआवजा दिया जाए।
गांव अहरोली में एक नाबालिग हिंदू लड़की को भगाने के मामले में आरोपी चांद मियां के बेटे अल्ताफ को पुलिस सोमवार की रात पूछताछ के लिए कासगंज कोतवाली ले गई थी। मंगलवार की रात पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई।
अल्ताफ उक्त लड़की के घर में टाइल लगाने का काम कर रहा था, जहां से दोनों सोमवार को लापता हो गए थे। परिवार के सदस्यों ने अल्ताफ पर लड़की को भगाने के मामले में शामिल होने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
कासगंज के पुलिस अधीक्षक रोशन प्रमोद बोत्रे ने कहा कि अल्ताफ शौचालय जाना चाहता था और उसे थाने में शौचालय की सुविधा का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन जब वह बाहर नहीं आया तो पुलिस ने वॉशरूम खोला तो उसे मृत पाया। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया जहां कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
अल्ताफ का शव पोस्टमार्टम के बाद परिवार वालों को सौंप दिया गया।
पीड़िता के पिता ने शुरू में गड़बड़ी का आरोप लगाया लेकिन बाद में पीछे हट गए।
चांद मियां ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने सोमवार रात को अपने बेटे को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया था, जिन्होंने उसे बताया कि वे उससे दूसरे समुदाय की लड़की को भगाने के मामले में पूछताछ करना चाहते हैं।
मियां ने कहा कि अल्ताफ को स्थानीय पुलिस स्टेशन से कोतवाली स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें उनके बेटे से मिलने नहीं दिया गया।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और कहा, "क्या यह असामान्य नहीं है कि चांद मियां ने पुलिस के समर्थन में एक हाथ से लिखित घोषणा प्रस्तुत की है, लेकिन हस्ताक्षर के बजाय, अगूंठा के निशान हैं, जो साबित करता है कि वह साक्षर नहीं है? पूरी बात संदिग्ध है।"
--आईएएनएस
मामले में बुधवार को लापरवाही बरतने के आरोप में पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।
पुलिस ने बताया कि पीड़ित डिप्रेशन में था और उसने आत्महत्या कर ली।
चांद मियां ने अब एक लिखित बयान दिया है कि वह मामले में आरोप वापस ले रहे हैं और 'भविष्य में इसे आगे नहीं बढ़ाएंगे।'
दिलचस्प बात यह है कि चांद मियां के हस्तलिखित नोट में हस्ताक्षर के बजाय उनके अंगूठे का निशान है।
उत्तर प्रदेश के कासगंज थाने में हिरासत में रहते हुए 22 वर्षीय मुस्लिम युवक अल्ताफ की मौत एक बड़े विवाद में तब्दील हो गई है और समाजवादी पार्टी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
पार्टी ने यह भी मांग की है कि युवक के परिवार को मुआवजा दिया जाए।
गांव अहरोली में एक नाबालिग हिंदू लड़की को भगाने के मामले में आरोपी चांद मियां के बेटे अल्ताफ को पुलिस सोमवार की रात पूछताछ के लिए कासगंज कोतवाली ले गई थी। मंगलवार की रात पुलिस हिरासत में उसकी मौत हो गई।
अल्ताफ उक्त लड़की के घर में टाइल लगाने का काम कर रहा था, जहां से दोनों सोमवार को लापता हो गए थे। परिवार के सदस्यों ने अल्ताफ पर लड़की को भगाने के मामले में शामिल होने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
कासगंज के पुलिस अधीक्षक रोशन प्रमोद बोत्रे ने कहा कि अल्ताफ शौचालय जाना चाहता था और उसे थाने में शौचालय की सुविधा का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन जब वह बाहर नहीं आया तो पुलिस ने वॉशरूम खोला तो उसे मृत पाया। उसे जिला अस्पताल ले जाया गया जहां कुछ देर बाद उसकी मौत हो गई।
अल्ताफ का शव पोस्टमार्टम के बाद परिवार वालों को सौंप दिया गया।
पीड़िता के पिता ने शुरू में गड़बड़ी का आरोप लगाया लेकिन बाद में पीछे हट गए।
चांद मियां ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने सोमवार रात को अपने बेटे को स्थानीय पुलिस को सौंप दिया था, जिन्होंने उसे बताया कि वे उससे दूसरे समुदाय की लड़की को भगाने के मामले में पूछताछ करना चाहते हैं।
मियां ने कहा कि अल्ताफ को स्थानीय पुलिस स्टेशन से कोतवाली स्थानांतरित कर दिया गया और उन्हें उनके बेटे से मिलने नहीं दिया गया।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अब्दुल हाफिज गांधी ने उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और कहा, "क्या यह असामान्य नहीं है कि चांद मियां ने पुलिस के समर्थन में एक हाथ से लिखित घोषणा प्रस्तुत की है, लेकिन हस्ताक्षर के बजाय, अगूंठा के निशान हैं, जो साबित करता है कि वह साक्षर नहीं है? पूरी बात संदिग्ध है।"
--आईएएनएस
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