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चारा उत्पादन को बढ़ावा देगा हिमाचल

शिमला। पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने रविवार को कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने चारे के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए राज्य द्वारा वित्त पोषित 5.54 करोड़ रुपये की पांच वर्षीय पायलट परियोजना शुरू की है। राज्य में चारे के रूप में वनस्पति की खेती के लिए 1,529.3 हेक्टेयर की उपलब्धता के साथ लगभग 40 लाख पालतू पशुओं के लिए चारे की वर्तमान उपलब्धता अपर्याप्त है।
अध्ययनों से पता चलता है कि हरे चारे की कमी के कारण दुधारू पशुओं में पोषण की कमी हो जाती है।
कंवर ने आईएएनएस को बताया कि चारे की कमी 40-45 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसे आगामी परियोजना के जरिए दूर किया जाएगा।
पशुपालन विभाग 17 हेक्टेयर में फैले पांच स्थानों पर बीज एवं रोपण सामग्री नर्सरी इकाई स्थापित करेगा।
विभाग पालमपुर, ज्योरी, बागथान और हमीरपुर में स्थापित होने वाली नर्सरी इकाइयों में पारिस्थितिक रूप से अनुकूलित बेहतर घास उगाई जाएगी।
पालमपुर में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (सीएसकेएचपीकेवी) द्वारा उन्नत घास की मूल रोपण सामग्री प्रदान की जाएगी, साथ ही पशुपालन विभाग और अन्य हितधारकों को घास, फलियां और चारे के पोधौं के रूटस्टॉक की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सीएसकेएचपीकेवी के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि 223 हजार हेक्टेयर को चारा की जरूरतों को पूरा करने के लिए आंशिक रूप से उन्नत घास फलियां प्रजातियों के तहत रखा जाएगा।
अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों की घास पोषक मूल्य में खराब होती है और जून से सितंबर तक बढ़ती है, मानसून का मौसम, और घास के मैदान और चरागाह प्रजातियां सात-आठ महीने तक निष्क्रिय रहती हैं।
सीएसकेएचपीकेवी दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गर्मी के मौसम में हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पौष्टिक समृद्ध चारा प्रजातियों के विभिन्न और तकनीकी विकास पर भी काम कर रहा है।
स्वस्थ चारे की उपलब्धता के महत्व पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि 75 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि आय का एकमात्र स्रोत है।
कंवर ने कहा कि राज्य में डेयरी का हिस्सा अधिकतम 47 से 56 प्रतिशत तक है।
2020-21 में दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति उपलब्धता 15.76 लाख टन रही है।
--आईएएनएस
अध्ययनों से पता चलता है कि हरे चारे की कमी के कारण दुधारू पशुओं में पोषण की कमी हो जाती है।
कंवर ने आईएएनएस को बताया कि चारे की कमी 40-45 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसे आगामी परियोजना के जरिए दूर किया जाएगा।
पशुपालन विभाग 17 हेक्टेयर में फैले पांच स्थानों पर बीज एवं रोपण सामग्री नर्सरी इकाई स्थापित करेगा।
विभाग पालमपुर, ज्योरी, बागथान और हमीरपुर में स्थापित होने वाली नर्सरी इकाइयों में पारिस्थितिक रूप से अनुकूलित बेहतर घास उगाई जाएगी।
पालमपुर में चौधरी सरवन कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय (सीएसकेएचपीकेवी) द्वारा उन्नत घास की मूल रोपण सामग्री प्रदान की जाएगी, साथ ही पशुपालन विभाग और अन्य हितधारकों को घास, फलियां और चारे के पोधौं के रूटस्टॉक की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सीएसकेएचपीकेवी के बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि 223 हजार हेक्टेयर को चारा की जरूरतों को पूरा करने के लिए आंशिक रूप से उन्नत घास फलियां प्रजातियों के तहत रखा जाएगा।
अधिकांश पहाड़ी क्षेत्रों की घास पोषक मूल्य में खराब होती है और जून से सितंबर तक बढ़ती है, मानसून का मौसम, और घास के मैदान और चरागाह प्रजातियां सात-आठ महीने तक निष्क्रिय रहती हैं।
सीएसकेएचपीकेवी दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए गर्मी के मौसम में हरे चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पौष्टिक समृद्ध चारा प्रजातियों के विभिन्न और तकनीकी विकास पर भी काम कर रहा है।
स्वस्थ चारे की उपलब्धता के महत्व पर जोर देते हुए मंत्री ने कहा कि 75 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि आय का एकमात्र स्रोत है।
कंवर ने कहा कि राज्य में डेयरी का हिस्सा अधिकतम 47 से 56 प्रतिशत तक है।
2020-21 में दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति उपलब्धता 15.76 लाख टन रही है।
--आईएएनएस
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