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साप्ताहिक कॉलमः दीवारों के कान

जबरो दोस्त बनने की राह पर डीएलबी निदेशक :
स्वायत्त शासन निदेशालय के निदेशक इन दिनों जबरो दोस्त बनने की राह पर हैं। बनें भी क्यों ना। विभाग का नाम ही स्वायत्त शासन है, यानि नियंत्रण तो किसी का है ही नहीं। इसलिए पिछले कुछ समय से उनके आदेश न केवल स्वायत्त शासन निदेशालय में बल्कि सचिवालय से लेकर मुख्यालय तक चर्चा में है। पिछले दिनों उन्होंने डिप्लोमा धारक इंजीनियर को पदोन्नति दे दी। वह भी सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को धता बताकर। दरअसल, इन इंजीनियर साहब की डिग्री सवालों के घेरे में है। इसकी जांच भी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2017 में पत्राचार से नियम विरुद्ध हासिल डिग्रियों के आधार पर नियुक्तियां रद्द करके रिकवरी के आदेश दिए हुए हैं। पंचायतराज विभाग में तो ऐसे इंजीनियरों को रिवर्ट किया जा चुका है। इसके बावजूद न केवल इंजीनियर साहब को रिटायरमेंट से कुछ समय पहले पदोन्नति दी गई। इतना ही नहीं रिटायरमेंट के बाद जयपुर नगर निगम (ग्रेटर) में एक साल के लिए पुनर्नियुक्ति अतिरिक्त मुख्य अभियंता (विद्युत) के पद पर पोस्टिंग भी कर दी। जबकि यहां ऐसा कोई पद ही रिक्त नहीं है।
नोट : इस कॉलम में हर सप्ताह खबरों के अंदर की खबर, शासन-प्रशासन की खास चर्चाएं प्रकाशित की जाएंगी
स्वायत्त शासन निदेशालय के निदेशक इन दिनों जबरो दोस्त बनने की राह पर हैं। बनें भी क्यों ना। विभाग का नाम ही स्वायत्त शासन है, यानि नियंत्रण तो किसी का है ही नहीं। इसलिए पिछले कुछ समय से उनके आदेश न केवल स्वायत्त शासन निदेशालय में बल्कि सचिवालय से लेकर मुख्यालय तक चर्चा में है। पिछले दिनों उन्होंने डिप्लोमा धारक इंजीनियर को पदोन्नति दे दी। वह भी सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन को धता बताकर। दरअसल, इन इंजीनियर साहब की डिग्री सवालों के घेरे में है। इसकी जांच भी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2017 में पत्राचार से नियम विरुद्ध हासिल डिग्रियों के आधार पर नियुक्तियां रद्द करके रिकवरी के आदेश दिए हुए हैं। पंचायतराज विभाग में तो ऐसे इंजीनियरों को रिवर्ट किया जा चुका है। इसके बावजूद न केवल इंजीनियर साहब को रिटायरमेंट से कुछ समय पहले पदोन्नति दी गई। इतना ही नहीं रिटायरमेंट के बाद जयपुर नगर निगम (ग्रेटर) में एक साल के लिए पुनर्नियुक्ति अतिरिक्त मुख्य अभियंता (विद्युत) के पद पर पोस्टिंग भी कर दी। जबकि यहां ऐसा कोई पद ही रिक्त नहीं है।
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