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चित्रकूट : बुंदेलखंड में बरगढ़ की ग्लास फैक्ट्री नहीं बन पा रही चुनावी मुद्दा

चित्रकूट। बुंदेलखंड से बेरोजगारी मिटाने की गरज से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1988 में चित्रकूट जिले के बरगढ़ में ग्लास फैक्ट्री का शिलान्यास किया था। लेकिन यह ग्लास फैक्ट्री शुरू होने से पहले ही कबाड़ में तब्दील हो चुकी है। प्रमुख राजनीतिक दल फैक्ट्री बंद होने का दोष एक-दूसरे पर मढ़ रहे हैं, मगर इस अभागी फैक्ट्री को कोई चुनावी मुद्दा बनाने को तैयार नहीं है।
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1988 में चित्रकूट जिले के बरगढ़ में करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली एक बड़ी ग्लास फैक्ट्री का शिलान्यास किया था। उम्मीद थी कि 1990 तक यह फैक्ट्री काम करनी शुरू कर देगी और हजारों बेरोजगार अपनी दो वक्त की रोटी कमा सकेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
केन्द्र में सरकार बदलते ही विदेश से आने वाली भारी-भरकम मशीनें गुजरात के बंदरगाह में फंस गईं, जो आज तक बरगढ़ नहीं आ सकीं। आलम यह है कि ग्लास फैक्ट्री चालू होने से पहले ही बंद हो गई है और अब तक कई छोटी-बड़ी मशीनें नीलाम हो चुकी हैं। पूरी फैक्ट्री कबाड़ में तब्दील हो चुकी है।
बड़ी बिडंबना यह कि 1988 के बाद कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं, लेकिन किसी राजनीतिक दल ने इस फैक्ट्री को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के कर्ता-धर्ता एक-दूसरे को फैक्ट्री बंद होने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के स्थानीय जिलाध्यक्ष रामलखन निषाद कहते हैं, "फैक्ट्री चालू कराने के लिए कई मर्तबा कोशिश की गई, लेकिन केन्द्र सरकार ने बंदरगाह में फंसी मशीनें बरगढ़ तक पहुंचाने में कोई दिलचश्पी नहीं दिखाई। केन्द्र सरकारों की उपेक्षा की वजह से पाठा क्षेत्र में बेरोजगारी सुरसा जैसी फैल रही है।"
समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष अनुज कुमार यादव का लगभग-लगभग यही आरोप है। उन्होंने कहा, "केन्द्र की सरकारों ने ग्लास फैक्ट्री चालू कराने की पहल नहीं की। इससे कुछ मशीनें जंग खाकर कबाड़ में बदल गई हैं और कई मशीनें नीलाम भी हो चुकी हैं। यदि विदेशी मशीनें आ गई होतीं और फैक्ट्री चालू हो गई होती तो हजारों युवकों को रोजगार मिल जाता।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष और कर्वी सदर से विधायक चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय कहते हैं, "फैक्ट्री लगाते समय कांग्रेस की मंशा सही नहीं थी। यही वजह रही कि फैक्ट्री शुरू होने से पहले ही बंद हो गई है।"
तो क्या भाजपा इस फैक्ट्री को चालू करवाने के लिए इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी? उन्होंने कहा, "पाठा क्षेत्र की मुख्य समस्या बेरोजगारी है। पार्टी हाई कमान के सामने इसे रखा जाएगा।"
कांग्रेस की चित्रकूट जिला इकाई के अध्यक्ष पंकज मिश्रा कहते हैं, "बरगढ़ की ग्लास फैक्ट्री का चालू न होना बुंदेलखंड का दुर्भाग्य है। यदि फैक्ट्री समय से चालू हो गई होती तो यहां के युवक रोजगारपरक होते और यहां से पलायन न होता।"
उन्होंने कहा, "पांच अप्रैल को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुंदेलखंड दौरे पर आ रही हैं, उनसे कह कर कांग्रेस के घोषणा पत्र में इसे शामिल करने का अनुरोध किया जाएगा।"
--आईएएनएस
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1988 में चित्रकूट जिले के बरगढ़ में करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाली एक बड़ी ग्लास फैक्ट्री का शिलान्यास किया था। उम्मीद थी कि 1990 तक यह फैक्ट्री काम करनी शुरू कर देगी और हजारों बेरोजगार अपनी दो वक्त की रोटी कमा सकेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
केन्द्र में सरकार बदलते ही विदेश से आने वाली भारी-भरकम मशीनें गुजरात के बंदरगाह में फंस गईं, जो आज तक बरगढ़ नहीं आ सकीं। आलम यह है कि ग्लास फैक्ट्री चालू होने से पहले ही बंद हो गई है और अब तक कई छोटी-बड़ी मशीनें नीलाम हो चुकी हैं। पूरी फैक्ट्री कबाड़ में तब्दील हो चुकी है।
बड़ी बिडंबना यह कि 1988 के बाद कई लोकसभा और विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं, लेकिन किसी राजनीतिक दल ने इस फैक्ट्री को चुनावी मुद्दा नहीं बनाया है। सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के कर्ता-धर्ता एक-दूसरे को फैक्ट्री बंद होने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के स्थानीय जिलाध्यक्ष रामलखन निषाद कहते हैं, "फैक्ट्री चालू कराने के लिए कई मर्तबा कोशिश की गई, लेकिन केन्द्र सरकार ने बंदरगाह में फंसी मशीनें बरगढ़ तक पहुंचाने में कोई दिलचश्पी नहीं दिखाई। केन्द्र सरकारों की उपेक्षा की वजह से पाठा क्षेत्र में बेरोजगारी सुरसा जैसी फैल रही है।"
समाजवादी पार्टी (सपा) के जिलाध्यक्ष अनुज कुमार यादव का लगभग-लगभग यही आरोप है। उन्होंने कहा, "केन्द्र की सरकारों ने ग्लास फैक्ट्री चालू कराने की पहल नहीं की। इससे कुछ मशीनें जंग खाकर कबाड़ में बदल गई हैं और कई मशीनें नीलाम भी हो चुकी हैं। यदि विदेशी मशीनें आ गई होतीं और फैक्ट्री चालू हो गई होती तो हजारों युवकों को रोजगार मिल जाता।"
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिलाध्यक्ष और कर्वी सदर से विधायक चन्द्रिका प्रसाद उपाध्याय कहते हैं, "फैक्ट्री लगाते समय कांग्रेस की मंशा सही नहीं थी। यही वजह रही कि फैक्ट्री शुरू होने से पहले ही बंद हो गई है।"
तो क्या भाजपा इस फैक्ट्री को चालू करवाने के लिए इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल करेगी? उन्होंने कहा, "पाठा क्षेत्र की मुख्य समस्या बेरोजगारी है। पार्टी हाई कमान के सामने इसे रखा जाएगा।"
कांग्रेस की चित्रकूट जिला इकाई के अध्यक्ष पंकज मिश्रा कहते हैं, "बरगढ़ की ग्लास फैक्ट्री का चालू न होना बुंदेलखंड का दुर्भाग्य है। यदि फैक्ट्री समय से चालू हो गई होती तो यहां के युवक रोजगारपरक होते और यहां से पलायन न होता।"
उन्होंने कहा, "पांच अप्रैल को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बुंदेलखंड दौरे पर आ रही हैं, उनसे कह कर कांग्रेस के घोषणा पत्र में इसे शामिल करने का अनुरोध किया जाएगा।"
--आईएएनएस
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