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खालिस्तान समर्थक तत्वों पर बोले कनाडा के उच्चायुक्त, हिंसा को बढ़ावा देना कभी स्वीकार्य नहीं
एक्स पर कनाडाई मंत्री डोमिनिक लेब्लांक के 8 जून के एक पोस्ट के जवाब में मैके ने कहा, "कनाडा की सरकार को ब्रैम्पटन में रविवार को एक और चित्र के प्रदर्शन की जानकारी है। कनाडा की स्थिति स्पष्ट है : कनाडा में हिंसा को बढ़ावा कतिपय स्वीकार्य नहीं है।"
सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री लेब्लांक ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को कटआउट में दिखाने पर चिंता व्यक्त करते हुए यह पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा था. "इस सप्ताह वैंकूवर में भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या को चित्रात्मक रूप में दिखाए जाने की खबरें मिली हैं। कनाडा में हिंसा को बढ़ावा देना कतई स्वीकार्य नहीं है।"
मैके ने 8 जून को कहा था कि कनाडा में उस घटना से वह स्तब्ध हैं जिसमें भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का महिमामंडन किया गया था। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "कनाडा में घृणा या हिंसा के महिमामंडन के लिए कोई जगह नहीं है। मैं इन गतिविधियों की स्पष्ट शब्दों में निंदा करता हूं।"
भारत ने कनाडा में इस तरह की परेशान करने वाली गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दिये जाने पर बारंबार चिंता प्रकट की है और अपना विरोध दर्ज कराया है। उसका कहना है कि इससे पता चलता है कि कनाडा में अलगाववाद, चरमपंथ और हिंसा को किस प्रकार जगह प्रदान की जा रही है।
महाराष्ट्र के नासिक में 'विश्वबंधु भारत' कार्यक्रम में बोलते हुए जयशंकर ने कहा था, "अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब हिंसा की आजादी नहीं हो सकती, अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब विदेश में अलगाववाद और आतंकवाद का समर्थन नहीं हो सकता। खालिस्तानियों का एक समूह वर्षों से कनाडा के आजादी के कानूनों का अनुचित लाभ उठा रहा है। लेकिन जब कनाडा की सरकार के समक्ष कोई राजनीतिक लाचारी आती है तो वह इन लोगों के साथ नरमी बरतती है, जो उनका वोट बैंक भी हैं।"
खालिस्तान समर्थक तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों के बीच नई दिल्ली ने ओटावा को कई मौकों पर साफ बता दिया है कि कानून के राज का सम्मान करने वाले लोकतांत्रिक देशों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर उग्रपंथी ताकतों द्वारा धमकियों की अनुमति नहीं देनी चाहिये।
जयशंकर ने कहा, "इन लोगों के कारण आज हमारे संबंध खराब हो गये हैं, जो उस देश में नियुक्त हमारे राजदूत और विभिन्न राजनयिकों को धमकियां दे रहे हैं। एक बार उन्होंने (भारतीय) उच्चायोग के अंदर स्मोक बम भी फेंका था जिससे हमारे राजनयिकों को इमारत से निकलने में परेशानी हुई थी। भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने वालों को कनाडा में शरण दी जाती है। वहां की सरकार को पूरी स्थिति पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।"
--आईएएनएस
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