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नए संसद भवन उद्घाटन समारोह के बहिष्कार से कांग्रेस ने लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचय दियाः ज्ञानचंद गुप्ता

चंडीगढ़। नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का कांग्रेस द्वारा बहिष्कार करने के ऐलान पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि ऐसा करके कांग्रेस ने अपनी लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। यह वक्त आपस में बंटने का नहीं बल्कि एकता और देश के लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है। इसके उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना लोकतंत्र का अपमान है। गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही लोकतंत्र की हत्या की है। कभी देश में इमरजेंसी लगाकर तो कभी चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त करके। इस पार्टी की कभी लोकतंत्र में आस्था नहीं रही।
विस अध्यक्ष ने कहा कि भारत का पुराना संसद भवन गुलामी के वक्त बना था। उसका उद्घाटन भी विदेशी शासकों ने किया था। आजादी के 75 वर्ष बाद बने नए भवन का उद्घाटन भारत की जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री द्वारा किया जाना कांग्रेस को रास नहीं आ रहा। यह पार्टी अपनी भारत और लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का त्याग नहीं कर पा रही। उन्होंने कहाकि संसदीय लोकतंत्र के प्रति कांग्रेस के इस प्रकार के तिरस्कार की जड़ें गहरी हैं। आजादी से लेकर अब तक पूरा इतिहास गवाह है कि कांग्रेस की कभी भी लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था नहीं रही।
उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबां में भी झांकना चाहिए। 24 अक्टूबर 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नईदिल्ली में संसद की एनेक्सी यानी उपभवन का उद्घाटन किया था। देश में उस समय आपातकाल चल रहा था और राष्ट्रपति इस समारोह में आमंत्रित नहीं थे।
उन्होंने कहा कि साल 2014 में झारखंड और असम के नए विधानसभा भवन का शिलान्यास यूपीए के मुख्यमंत्रियों ने किया था। समारोह के लिए राज्यपाल तक को न्यौता नहीं दिया गया था। वर्ष 2018 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने नए विधानसभा भवन का शिलान्यास किया। तब भी राज्यपाल को न्यौता नहीं दिया गया।
वर्ष 2020 में सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का शिलान्यास किया, तब भी राज्यपाल को नहीं बुलाया गया। इसी वर्ष यानि 2023 में तेलंगाना के विधानसभा भवन का उद्घाटन भी मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। लेकिन राज्यपाल को समारोह के लिए न्योता नहीं दिया गया।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर है। इसके उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करना लोकतंत्र का अपमान है। गुप्ता ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही लोकतंत्र की हत्या की है। कभी देश में इमरजेंसी लगाकर तो कभी चुनी हुई सरकारों को बर्खास्त करके। इस पार्टी की कभी लोकतंत्र में आस्था नहीं रही।
विस अध्यक्ष ने कहा कि भारत का पुराना संसद भवन गुलामी के वक्त बना था। उसका उद्घाटन भी विदेशी शासकों ने किया था। आजादी के 75 वर्ष बाद बने नए भवन का उद्घाटन भारत की जनता द्वारा चुने गए प्रधानमंत्री द्वारा किया जाना कांग्रेस को रास नहीं आ रहा। यह पार्टी अपनी भारत और लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का त्याग नहीं कर पा रही। उन्होंने कहाकि संसदीय लोकतंत्र के प्रति कांग्रेस के इस प्रकार के तिरस्कार की जड़ें गहरी हैं। आजादी से लेकर अब तक पूरा इतिहास गवाह है कि कांग्रेस की कभी भी लोकतांत्रिक मूल्यों में आस्था नहीं रही।
उन्होंने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने से पहले कांग्रेस को अपने गिरेबां में भी झांकना चाहिए। 24 अक्टूबर 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने नईदिल्ली में संसद की एनेक्सी यानी उपभवन का उद्घाटन किया था। देश में उस समय आपातकाल चल रहा था और राष्ट्रपति इस समारोह में आमंत्रित नहीं थे।
उन्होंने कहा कि साल 2014 में झारखंड और असम के नए विधानसभा भवन का शिलान्यास यूपीए के मुख्यमंत्रियों ने किया था। समारोह के लिए राज्यपाल तक को न्यौता नहीं दिया गया था। वर्ष 2018 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने नए विधानसभा भवन का शिलान्यास किया। तब भी राज्यपाल को न्यौता नहीं दिया गया।
वर्ष 2020 में सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का शिलान्यास किया, तब भी राज्यपाल को नहीं बुलाया गया। इसी वर्ष यानि 2023 में तेलंगाना के विधानसभा भवन का उद्घाटन भी मुख्यमंत्री द्वारा किया गया। लेकिन राज्यपाल को समारोह के लिए न्योता नहीं दिया गया।
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