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रक्त का निर्माण किसी प्रयोगशाला में नहीं हो सकता - राज्यपाल

चंडीगढ़ । हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा है कि दुनिया की किसी भी फैक्ट्री में रक्त का उत्पादन नहीं होता और न ही रक्त का कोई दूसरा विकल्प है। यह केवल रक्तदाताओं द्वारा स्वेच्छा से किए गए रक्तदान के माध्यम से ही जरूरतमंदों को उपलब्ध हो पाता है।
राज्यपाल ने यह बात फतेहाबाद जिले के टोहाना में राम नाथ एजुकेशनल एवं वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित तथा भारतीय सेना के वीर सपूतों को समर्पित रक्तदान शिविर के उद्घाटन अवसर पर कही। सशस्त्र सेना आधान केंद्र, दिल्ली छावनी द्वारा रैडक्रॉस के सहयोग से आयोजित इस रक्तदान शिविर में टोहाना के विधायक सुभाष बराला ने भी रक्तदान किया। शिविर में रक्तदान के लिए दोपहर तक लगभग 1100 युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया था और इसके बाद भी पंजीकरण कर रक्तदान करने वालों का सिलसिला निरंतर जारी था।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने रक्तदान को महादान की संज्ञा देते हुए कहा कि जो अन्न देता है, उसे अन्नदाता कहते हैं। जो धन देता है, उसे धनदाता कहते हैं। जो विद्या देता है, उसे विद्यादाता कहते हैं परन्तु जो रक्त देता है, उसे जीवनदाता कहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास दानी वीरों से भरा पड़ा है। महर्षि दधीचि ने मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों तक का दान कर दिया था। रक्तदान करने से शरीर में किसी प्रकार की कोई भी कमजोरी नहीं होती, अपितु मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है। राज्यपाल ने कहा कि विज्ञान ने हर क्षेत्र में उन्नति की है, परन्तु आज भी रक्त का निर्माण किसी प्रयोगशाला में नहीं हो सकता।
राज्यपाल ने यह बात फतेहाबाद जिले के टोहाना में राम नाथ एजुकेशनल एवं वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित तथा भारतीय सेना के वीर सपूतों को समर्पित रक्तदान शिविर के उद्घाटन अवसर पर कही। सशस्त्र सेना आधान केंद्र, दिल्ली छावनी द्वारा रैडक्रॉस के सहयोग से आयोजित इस रक्तदान शिविर में टोहाना के विधायक सुभाष बराला ने भी रक्तदान किया। शिविर में रक्तदान के लिए दोपहर तक लगभग 1100 युवाओं ने अपना पंजीकरण करवाया था और इसके बाद भी पंजीकरण कर रक्तदान करने वालों का सिलसिला निरंतर जारी था।
इस अवसर पर अपने संबोधन में राज्यपाल ने रक्तदान को महादान की संज्ञा देते हुए कहा कि जो अन्न देता है, उसे अन्नदाता कहते हैं। जो धन देता है, उसे धनदाता कहते हैं। जो विद्या देता है, उसे विद्यादाता कहते हैं परन्तु जो रक्त देता है, उसे जीवनदाता कहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास दानी वीरों से भरा पड़ा है। महर्षि दधीचि ने मानव कल्याण के लिए अपनी अस्थियों तक का दान कर दिया था। रक्तदान करने से शरीर में किसी प्रकार की कोई भी कमजोरी नहीं होती, अपितु मनुष्य का शरीर स्वस्थ रहता है। राज्यपाल ने कहा कि विज्ञान ने हर क्षेत्र में उन्नति की है, परन्तु आज भी रक्त का निर्माण किसी प्रयोगशाला में नहीं हो सकता।
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