Bhaum Amavasya on March 21: Tradition of performing Shraddha for ancestors, should bathe in rivers-m.khaskhabar.com
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Sep 28, 2023 12:35 am
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भौम अमावस्या 21 मार्च को: पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने की परम्परा, नदियों में करना चाहिए स्नान

khaskhabar.com : रविवार, 19 मार्च 2023 11:00 AM (IST)
भौम अमावस्या 21 मार्च को: पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने की परम्परा, नदियों में करना चाहिए स्नान
धर्माचार्यों और ज्योतिषियों के मुताबिक, चैत्र अमावस्या का महत्व काफी अधिक है, क्योंकि इसके अगले दिन से नव संवत् शुरू होता है यानी पुराने संवत् की ये अंतिम तिथि होती है। मंगलवार, 21 मार्च को चैत्र मास की अमावस्या है। मंगलवार को यह तिथि होती है तो इसे भौम अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या को भी पर्व की तरह माना जाता है। इस तिथि पर नदियों में स्नान, तीर्थ दर्शन करने की और पितरों के लिए श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है।

अमावस्या पर पितरों के लिए किए गए शुभ कर्मों से पितरों को तृप्ति मिलती है, ऐसी मान्यता है। घर-परिवार के मृत सदस्यों को पितर देव माना जाता है। मंगलवार के दिन पडऩे वाली इस अमावस्या का अपना एक अलग धार्मिक महत्त्व है। आइए जानते हैं इस दिन कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं—

मंगलवार हनुमान जी का जन्म वार है। इस कारण मंगलवार को श्रीराम की पूजा के बाद हनुमान जी के सामने दीपक जलाकर सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। आप चाहें तो श्रीराम नाम का जप भी कर सकते हैं। सिंदूर और चमेली के तेल से हनुमान जी का श्रृंगार करें। मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

पितरों के लिए ऐसे कर सकते हैं धूप-ध्यान
सुबह देवी-देवताओं की पूजा करनी चाहिए और दोपहर के बाद पितरों के लिए धूप-ध्यान करना चाहिए, क्योंकि दोपहर का समय श्राद्ध, तर्पण, धूप-ध्यान करने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। घर में साफ-सफाई करें। गाय के गोबर से बना कंडा जलाएं। जब कंडे से धुआं निकलना बंद हो जाए, तब पितरों का ध्यान करते हुए अंगारों पर गुड़ और घी डालें। इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल अर्पित करें। अमावस्या पर पितरों के निमित्त जरूरतमंद लोगों भोजन भी करा सकते हैं। अनाज, धन और कपड़ों का दान कर सकते हैं।
अमावस्या पर करें यह काम
1. अमावस्या पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।

2. घर के मंदिर में बाल गोपाल हैं तो उनका अभिषेक करें। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। भगवान विष्णु की पूजा करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करें।

3. शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पत्र और फूलों से श्रृंगार करें। दीपक जलाकर आरती करें। मिठाई का भोग लगाएं।

आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


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